Principal/School Head Message



जानना चाहते हो किताबें ब्लैक & White क्यों होती हैं ?
क्यूंकि ये उस माँ की तरह होती है, जो अपने एक बच्चे को जन्म देने के लिए अपनी सुंदरता और अपनी जिंदगी कुर्बान कर देती है!
ये ब्लैक and white किताबें अपना रंग उसको देती है, जिस इंसान से उसका दिल जुड़ जाता है।
ये किताबें कभी न कभी इंसान को मुश्किलों से बाहर जरूर निकालती है !
जिस तरह से अगर तुम्हारे पीछे कोई दुश्मन लग जाये, तो तुम्हारा कुत्ता अपनी जान की परवाह ना करते हुए अपने मालिक को मुश्किलों से निकलता है !
सी तरह किताबें भी अपने वफादारी के धर्म को निभाना अच्छी तरह जानती है !
जब हमारी रियल लाइफ में कोई अगर बहुत बड़ी मुश्किल हालात आती है, तो किताबों का ज्ञान ही हमें वहां से निकलने की प्रेरणा देता है !
किताब जितना वफादार दोस्त और कोई नहीं होता !
उसके पेज कितने भी फाड़ो, उसको कही पर भी रख दो, लेकिन उसके मन में यह नहीं होता की मेरे साथ कुछ गलत हो रहा है !
वो फिर भी अपनी गुण नहीं छोड़ती, वो ज्ञान देती रहती है ! जब तक की लेने वाले का दिल हरा ना हो जाये ! जब तक की उसको किताबों की बाहों में नींद न आजाये !
कौन कहता है की किसी इंसान को सिर्फ अपने मेहबूब की बाहों में ही अच्छी नींद आती है, शायद उन लोगो ने कभी किताब के बारे में नहीं सुना।
लेकिन आज किताबों की जगह सोशल मीडिया ने ले ली है। किताब की पेज में पेंसिल से मार्किंग की जगह, मोबाइल पर उँगलियाँ चलती है।
वो किताब आज भी दबी हुई आवाज में बोलती है की “तू कितना बदल गया है!”
जिन किताबों से, जिन पन्नो से इतिहास के कई महान किस्सों की ऐसी ताजी खुशबु आती है, कि मानो कल की ही बात हो, कोई अविष्कारों के समीकरण छुपे हुए हैं !


वो बेजुबान तो होती है, लेकिन दिल की बहुत सच्ची है ! और उसके इशारे तुम्हें हमेशा सही रास्ते ही दिखाते हैं ! उसका दिल तुम्हारी तरह काला नहीं होता।
उसके पन्नो में एक बार जो लिख गया, वो तब भी उसके दिल से नहीं मिटेगा, जब शायद तुम भी इस दुनिया से मिट जाओगे।
ताजुब की बात तो यह है की किताबों में जगह बनाने के लिए किताबों से दोस्ती करनी पड़ती है।
अब कोई लोग सोचेंगे कि आइंस्टीन तो नहीं गया स्कूल। सोचना सही भी है और नहीं भी है।
क्यूंकि स्कूल ना जाने का मतलब यह नहीं कि आइंस्टीन ने किताबें नहीं पढ़ी। उन्होंने इतने किताबें पढ़ी जो हम सोच भी नहीं सकते।
अब्राहम लिंकन, जो कि अमेरिका के राष्ट्रपति बने, वो पड़ोसियों से किताबें उधार मांग के लाते थे।
डॉ बी. आर. आंबेडकर, जिसको क्लास में घुसने नहीं दिया जाता था, उनके किताबों से प्यार ने, उनको भारत का संविधान लिखने के काबिल बना दिया।
आज किताबों की जगह PDF ने ले ली है, और जहाँ पर तुम PDF पढ़ते हो वहां बहुत सारे काम होते हैं, तुमने सब कुछ मिक्स कर दिया है !
PDF पढ़ते हुए तुम्हारे पास notifications आते हैं, कि किसी ने तुम्हे फोटो में टैग करा है, किसी ने तुम्हे कमेंट में mention किया है।
मत करो किताबों के साथ अन्याय, इतिहास में कोई PDF नहीं था, तो क्या लोगो ने ज्ञान हासिल नहीं किया ?
जरा सोचो उस इंसान के बारे में, जिसकी रोजी रोटी सिर्फ किताबें बेचने से ही चलती है, वो रोजी रोटी नहीं, तुम्हें तुम्हारी जिंदगी बेच रहा है, उस जिंदगी को बर्बाद मत होने दो।
किताबों की आवाज को पहचानो, कभी दिल लगाकर देखो, तब देखना किताब तुम्हारा पूरी रात भर कैसे साथ निभाती है !
महान इंसानों का रहस्य है किताबें, तुम्हारी सफलता की एकमात्र उम्मीद है किताबें। अब भी इग्नोर करोगे, तो जिस तरह किताब कभी दबी हुई तुम्हारा wait कर रही है, उसी तरह तुम भी कभी अपनी किस्मत के बदलने का वेट कर रहे होंगे।


तुम सिर्फ पढ़ो, लेट नहीं हो तुम, हाथ बढ़ाओ किताबों की तरफ, उसका मन साफ है, वो तुम्हें माफ़ कर देगी।
जब तुम दोनों एक हो जाओगे, तब तुम दोनों किसी का भी मुकाबला कर सकते हो।
सोशल मीडिया को भाड़ में जाने दो।
जिस किताब को पढ़ते हुए तुम्हें नींद आ रही है, क्या उसको लिखने वाला एलियन था ?
बहाने बनाना बंद करो, मूड नहीं है, पढाई बोरिंग लगती है, नींद आ रही है तो उठ कर मुँह में पानी मार लो या 10 push-ups मार लो, क्या तुम कर सकते हो ? क्या बन सकते हो जिद्दी ? हरा सकते हो एग्जाम को ? बन सकते हो टोपर ? कर सकते हो अपने पेरेंट्स का नाम रोशन ?
कर सकते हो मुकाबला, खुद से ? खुद के आलस से ? खुद की नींद से ? सोशल मीडिया से ? खुद के साथ हो रही गद्दारी से ? उन आँसुओ से… जो तुम्हारी फॅमिली को किसी ने और ने दिये है ?
कर सकते मुकाबला उस दर्द से ! जो तुम्हें किसी के ब्रेकअप से मिला है ? बदल सकते हो अपनी किस्मत ?
नौकरी पाना और करना जरुरी नहीं, और पढ़ते हुए नौकरी के बारे में सोचना भी उन किताबों के साथ धोखा है !
जो दिल की कितनी साफ है और जिनको नौकरी की स्वार्थ के लिए पढ़ रहे हो, अगर पढ़ना है, तो ज्ञान हासिल करने के लिए पढ़ो, दुनिया को कुछ देने के लिए पढ़ो और कुछ अच्छा करने के लिए सिर्फ इरादों की जरुरत होती है, इसलिए अपने इरादे मजबूत करो !
कि बस मुझे पढ़ना है, मुझे जिंदगी के इस छोटे से डर Exam को बिना डरे उसका सामना करना है।
किताबें भले ही black and white हो, लेकिन अपनी जिंदगी में रंग भरती है, और अगर तुमने इनसे दुरी बनाई, तो जिंदगी सच में Black and White हो जाएगी।
तुम्हें पढ़ना होगा अपनी जिंदगी में रंग भरना होगा, उस रंग से ही तुम्हारे घर में रौशनी आएगी, वो रौशनी तुम्हें सितारा बनाएगी और जब तुम सितारे बन जाओगे, तब उसी किताब की black and white लाइन में एक नाम तुम्हारा भी शामिल हो जायेगा।
और फिर तुम भी किताबों से प्यार करने वालों की जिंदगी में रंग भरोगे !
और कभी किताब की बेइज्जती मत करना, ये बोलकर कि मन नहीं करता। इस मन समय रहते कण्ट्रोल कर लो वरना मन जब तुम्हें कण्ट्रोल करेगा, तब ना तुम पढोगे, ना तुम आगे बढ़ पाओगे।

 


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