Principal/School Head Message
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ।
क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ।।
(कठोपनिषद्, अध्याय १, वल्ली ३, मंत्र १४)
श्री त्रिलोकेश्वर शरण वार्ष्णेय
अध्यापक (स्तर-2, आंग्ल भाषा)
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